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Showing posts from January, 2020

आखिरकार मौजू की ढाणी से ब्लॉक समिति के पूर्व सदस्य व बीजेपी मंडल महामंत्री समिन्द्र कम्बोज के द्वारा उठाई गई मांग को पंख लगते नजर आ रहे हैं और शीघ्र ही सरकार द्वारा मौजू की ढाणी में बनने वाले भाखड़ा नहरी पानी सप्लाई को लेकर बनने वाले जलघर को मंजूरी मिल सकती है। इसको लेकर जनस्वा्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग ने करीब 40 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस जलघर के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए हरियाणा सरकार को भेजा गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सरकार द्वारा मंजूरी मिलते ही और बजट जारी होते ही टेंडर करवा दिए जाएंगे।

ऐलनाबाद, 21 सितंबर : आखिरकार मौजू की ढाणी से ब्लॉक समिति के पूर्व सदस्य व बीजेपी मंडल महामंत्री समिन्द्र कम्बोज के द्वारा उठाई गई मांग को पंख लगते नजर आ रहे हैं और शीघ्र ही सरकार द्वारा मौजू की ढाणी में बनने वाले भाखड़ा नहरी पानी सप्लाई को लेकर बनने वाले जलघर को मंजूरी मिल सकती है। इसको लेकर जनस्वा्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग ने करीब 40 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस जलघर के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए हरियाणा सरकार को भेजा गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सरकार द्वारा मंजूरी मिलते ही और बजट जारी होते ही टेंडर करवा दिए जाएंगे। गौरतलब हो कि गांव मौजू की ढाणी व आसपास के इलाके में पेयजल संकट रहता है क्योंकि यहां पर नहरी पानी पर आधारित जलघर नही है और जमीनी पानी क्षार वाला है जिससे लोगों में घुटनों व पेट की बीमारियां बढ रही है। इसके लिए पूर्व ब्लॉक समिति मैम्बर समिन्द्र कम्बोज ने अपने वार्ड के गांवों मौजू की ढाणी, थोबरिया व दया सिंह थेड़ के लोगों से जलघर बनाने का वायदा किया था। उनके इस वायदे को पूरा करने में वरिष्ठ बीजेपी नेता अमीरचंद मेहता ने पूरा साथ दिया और कई बार चंडीगढ के चक्क

फाजिल्का जिला परिषद की चैयरमेन ममता कम्बोज बनी।।

विशाल ट्रेक्टर टोचन मुकाबला।।

पूज्य संत गुरु ब्रहमदास जी मुख्य डेरा बाबा भूमणशाह संगर साधा व डेरा बाबा भूमणशाह रत्ताखेड़ा के संत बाबा हरिदास जी ने संगत को आशीर्वाद दिया।

आज डेरा बाबा भूमणशाह रत्ता खेड़ा में पूज्य संत गुरु  ब्रहमदास जी मुख्य डेरा बाबा भूमणशाह संगर साधा व डेरा बाबा भूमणशाह रत्ताखेड़ा के संत बाबा हरिदास जी ने संगत को आशीर्वाद दिया।

जलियांवाला बाग में शहीद ऊधम सिंह जी की प्रतिमा के सामने एक टिकट खिड़की बनाई जा रही है, जो शहीद ऊधम सिंह जी की मूर्ति को छुपा रही है।

बड़े दुःख के साथ सुचित किया जा रहा है कि जलियांवाला बाग में शहीद ऊधम सिंह जी की प्रतिमा के सामने एक टिकट खिड़की बनाई जा रही है, जो शहीद ऊधम सिंह जी की मूर्ति को छुपा रही है, जो एक साजिश लग रही है। अधिकतम विरोध करें।।

Shaheed Udham Singh chowk Ellenabad.

।। ॐ बाबा भूमंण शाह जी देवाय नमः।।

'मैं देश के लिए जान दे रहा हूं' कह कर इस भारतीय 'शेर' ने लिया था जालियांवाला कांड का बदला।

"मरने के लिए बूढ़े होने का इंतजार क्यों करना? मैं देश के लिए अपनी जान दे रहा हूं..." , आज से 70 साल पहले भारत मां के वीर पुत्र ने फांसी पर चढ़ने से अपने देशवासियों के नाम यह चिट्ठी लिखी थी। 13 अप्रैल, 1919 को पंजाब के जलियांवाला बाग में रॉलेट एक्ट का विरोध कर रहे हजारों निर्दोष भारतीयों को जब अंग्रेज गोलियों से भून रहे थे, तो एक मां भारती के लाल ने अपनी मिट्टी से वादा किया था कि वो इस नरसंहार का बदला लेकर रहेगा।  अपने वादे को पूरा करने के लिए भारत मां का यह लाल 21 सालों तक बदले की आग में जलता रहा और आखिरकार 13 मार्च, 1940 को लंदन में माइकल ओ ड्वायर को मौत के घाट उतार कर अपनी कसम पूरी की। माइकल ओ ड्वायर जलियांवाला कांड के वक्त पंजाब प्रांत के गवर्नर थे।  यह वीर देशभक्त जिन्हें पूरा देश सरदार उधम सिंह कम्बोज के नाम से जानता है। 13 मार्च को उधम सुबह से ही अपनी योजना को अंजाम देने के लिए पूरी तरह तैयार थे। माइकल ओ ड्वायर को एक सभा में हिस्सा लेने के लिए तीन बजे लंदन के कैक्सटन हॉल में जाना था। उधम वहां समय से पहुंच गए। वो अपने साथ एक किताब ले कर गए थे, जिसके पन्नों को

Pics: जान बचाने को इस कुएं में कूद गए थे लोग, देखकर याद आ जाएगा जलियांवाला बाग नरसंहार।

13 अप्रैल 1919 को अपनी जान बचाने के लिए लोगों ने कुएं में छलांग लगा दी थी। तस्वीरों में देखिए वो कुआं, जलियांवाला बाग नरसंहार की यादें ताजा हो जाएंगी।  जलियांवाला बाग नरसंहार को करीब सौ साल हो चुके हैं। 1919 में क्रूर अंग्रेज सिपाहियों ने निहत्थे लोगों पर गोलियों बरसा कर 1000 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी थी। मरने वाले इन बेकसूर लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। बैसाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट, अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों व दो नेताओं सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में एक सभा रखी गई, जिसमें कुछ नेता भाषण देने वाले थे। शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था, फिर भी सैंकड़ों लोग बैसाखी के मौके पर परिवार के साथ मेला देखने और शहर घूमने आए हुए थे। जलियांवाला बाग में सभा की खबर सुन कर लोग वहां जा पहुंचे थे। करीब 5,000 लोग जलियांवाला बाग में इकट्ठे थे।  ब्रिटिश सरकार के कई अधिकारियों को यह सभा 1857 के गदर की पुनरावृत्ति जैसी लग रही थी, जिसे न होने देने के लिए वो कुछ भी करने के लिए तैयार थे। इसके लिए जनरल डायर को जिम्मेदारी दी ग

जलियांवाला बाग हत्याकांड, चंद लाइने शहीदों के नाम।

13 अप्रैल 1919, जलियावाला बाग़ हत्याकांड में शहीद हुए देशभक्तो को अश्रुपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि सोलह सौ पचास गोलियां, चली हमारे सीने पर। पैरों में बेड़ी डाल, बंदिशें लगी हमारे जीने पर। रक्त पात करुणाक्रंदन, बस चारों ओर यही था। पत्नी के कंधे लाश पति की, जड़ चेतन में मातम था। इंक़लाब का ऊँचा स्वर, इस पर भी यारों दबा नहीं। भारत माँ का जयकारा, बंदूकों से डरा नहीं। लाशें बच्चे बूढ़ों की, टूटे फूलों सी बिखरी थीं। आज़ादी की बलिवेदी, पर शोणित बूँदें उभरी थीं। ललकार बन गयी चीत्कार, गुलजार जगह शमशान हो गयी। तारीख बदलती रही मगर, वो घड़ी वहीं पर ठहर गयी। धूल धूसरित धरा खून में, अंगारों सी दहक रही थी। कतरा-कतरा शोला था, क्रांति शिखाएं निकल रही थी। इसी धूल से भगत सिंह सा, बलिदानी उत्पन्न हुआ। ऊधमसिंह से क्रांति दूत ने, सारी दुनियां को सन्न किया। अमृतसर की आग हिन्द में, धीरे - धीरे छायी थी। भारत माँ की हथकड़ियाँ, कटने की बारी आयी थी। भारत आज़ाद हो गया था, अपना आकाश हो गया था। इंक़लाब का शोर कागजों, में ही दबा रह गया था। बलिदानों की प्रथा देखिए, लिपटी रही तिरंगे में। बेज़ार भारती माता देख

फाजिल्का में सर्वसम्मति से ममता रानी कम्बोज को ज़िला परिषद चेयरमैन व किरणा रानी कम्बोज को वाइस चेयरमैन बनाया गया।

फाजिल्का जिले के सभी जिलापरिषद मेम्बरों द्वारा सर्वसम्मति से ममता रानी कम्बोज पुत्रवधू मनफूल जी कम्बोज को ज़िला परिषद चेयरमैन व किरणा रानी कम्बोज धर्मपत्नी कृष्ण कम्बोज जी को वाइस चेयरमैन बनाया गया। इस अवसर पर उन्हें बहुत बहुत बधाई ओर शुभकामनाएँ।

Shaheed Udham Singh Yaadgari Trust, (Regd) Shaheed Udham Singh Kamboj Chowk, Moga Road, Dharamkot.

।। ॐ बाबा भुमण शाह जी देवाय नमः।।

।। ॐ बाबा भुमण शाह जी देवाय नमः।।